" पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर ,
या वो जगह बता जहाँ पर खुदा नहीं "


इक़बाल :
" मस्जिद खुदा का घर है ,
कोई पीने की जगह नहीं,
कोई पीने की जगह नहीं,
काफिर के दिल में जा, वहां पर खुदा नहीं "
खुदा मौजूद है वहां भी ,काफिर को पता नहीं "
" खुदा मौजूद है पूरी दुनिया में , कहीं भी जगह नहीं ,
तू जन्नत में जा, वहां पीना मना नहीं "
साकी :
" पीता हूँ गम -ए-दुनिया भुलाने के लिए और कुछ नहीं ,
जन्नत में कहाँ गम है , वहां पीने में मज़ा नहीं "

मीर :
" हम पीते हैं मज़े के लिए ,
वेवजह बदनाम गम है
पूरी बोतल पी कर देखो , फिर दुनिया क्या जन्नत से कम है "
"



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